Wednesday, January 31, 2024

कितना अकेला हूँ मैं

इसका हूँ के उसका हूँ 

ना जाने मैं किस-किस का हूँ 

किसी का प्यारा तो किसी का खास हूँ 

कहीं मस्त तो कहीं अलबेला हूँ मैं 

दुनिया के इस जंजाल में कितना अकेला हूँ मैं 


कहने को कई दोस्तो का दोस्त हूँ 

और कुछो का तो अनजाना रिश्तेदार हूँ 

किसी की आश तो किसी की उम्मीद हूँ

कहीं खुशी तो कहीं बड़ा झमेला हूँ मैं 

दुनिया के इस जंजाल में कितना अकेला हूँ मैं 


कहीं तारा तो कहीं सूरज हूँ

किसी की गद्दी तो किसी का सरताज हूँ 

इस करोड़ों की आबादी में किसी का पुखराज हूँ 

कहीं एकदम आसान तो कहीं बड़ा हठेला हूँ मैं

दुनिया के इस जंजाल में कितना अकेला हूँ मैं


ये जंग अकेले जीतनी है मुझे मैं जानता हूँ 

ये सारा सफर अकेले तय करना है मुझे, मैं जानता हूँ 

इस भीड़ में पुष्पों सा खिलना है मुझे, मैं जानता हूँ 

कहीं बेशर्म तो कहीं बड़ा शर्मीला हूँ मैं

दुनिया के इस जंजाल में कितना अकेला हूँ मैं !

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