रोशनी अब सूर्य से ही नहीं चंदा से भी निकलेगी
जिन जड़ों में जकडा है तू वही तेरी जफर की विशात देंगी
क्या कहते हैं वो ना सुन तूने रातें जागी हैं तो कहानियां तो बनेंगी
रिश्ते नाते यार व्यवहार सब की हिकमत बदलेगी
मां वही फिर बचपन की लोरियां गढ़ेगी
पिताजी की अंधरी दुनिया रोशनी में तब बदलेगी
क्या कहते हैं वो ना सुन तूने रातें जागी हैं तो कहानियां तो बनेंगी
जो खड़े हैं बाजार में बताते तेरे किरदार को
दे इन्हें सहलाने की चोट हो जोरदार जो
बदले पछतावे की नहीं ये वो जो जग में झलकेगी
क्या कहते हैं वो ना सुन तूने रातें जागी हैं तो कहानियां तो बनेंगी ।
-नीरज
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