कैसे दिन से पहले दिन करती हो माँ
और सूरज से भी पहले तुम उठती हो माँ
फिर बिना इत्र के घर को महका देती हो माँ
पूरा घर कैसे अपने इन्हीं हाथों से उठा लेती हो माँ
मुझे नहीं बनना कुछ बस मैं चाहता हूँ, तुमसा बनना मेरी माँ
कई लोगों से मिला और कइयों से बिछडा मैं माँ
कहीं हारा कहीं कुछ छूटा और फिर खाली हाथ लौटा मैं माँ
खाली हाथ घर आके तुम्हें देख लगा जैसे मैं ही खुदा हूँ माँ
आपका सिर्फ चेहरा ही मानो मेरी जन्नत हो माँ
मुझे नहीं बनना कुछ बस मैं चाहता हूँ, तुमसा बनना मेरी माँ
कई दफा तुमसे कैसे लिपट कर जोर से रोया मैं माँ
यहां पर लेकिन मैं अकेला नहीं हूँ मेरे साथ एक शब्द है माँ
कोशिश में हूँ और एक दिन घर लौटूंगा मैं माँ
और तुम्हारी तरह ही तुमसे लिपटकर तुम्हें ठीक कर दूंगा माँ
मुझे नहीं बनना कुछ बस मैं चाहता हूँ, तुमसा बनना मेरी माँ
अभी भी मेरा मन हर बीमारी में डॉक्टर से पहले तुम्हें याद करता है माँ
माँ सुनो ना मैं थोड़ा सा यहां बीमार हूँ कई ऐसी बीमारियों का
जिनका तुम्हारे सिवा कोई डॉक्टर नहीं और ना ही कोई इलाज माँ
मेरे बिना ही कुछ किये मुझे राजा बताती हो माँ
मुझे नहीं बनना कुछ बस मैं चाहता हूँ, तुमसा बनना मेरी माँ!
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