मिलना है हर पक्षी से और अभी कई पेड़ों का हिसाब बाकी है
जानना है धरती कितनी गोल है और कितना ऊँचा है आसमां
पूछना है हर पथिक से कि और कितनी राह अभी बाकी है
देखने हैं सारे मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर और कई तो गुरुद्वारे
सुननी है गूंगो की सारी बातें और मेरी भी कुछ बात अभी बाकी है
पहुंचना है वहाँ जहाँ कोई अब तलक पहुँच नहीं सका है
करना है महसूस कि किसमे कितना अभी अपनापन बाकी है
लिखना है धरती ,अंबर और ये सारा नभ संचर
कितने शमशान में जल गए और कितने जाने अभी बाकी हैं
मेरे जिस्मों जहन के अभी कुछ ख्वाब बाकी है
कि मुझे अभी मत मारो अभी मेरी कुछ किताब बाकी है l
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