Wednesday, January 31, 2024

बाकी है

चढ़ना है ऊँचे पहाड़ों पर और लगानी है कई लम्बी छलांग हमे 
मिलना है हर पक्षी से और अभी कई पेड़ों का हिसाब बाकी है

जानना है धरती कितनी गोल है और कितना ऊँचा है आसमां 
पूछना है हर पथिक से कि और कितनी राह अभी बाकी है 

देखने हैं सारे मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर और कई तो गुरुद्वारे 
सुननी है गूंगो की सारी बातें और मेरी भी कुछ बात अभी बाकी है 

पहुंचना है वहाँ जहाँ कोई अब तलक पहुँच नहीं सका है 
करना है महसूस कि किसमे कितना अभी अपनापन बाकी है

लिखना है धरती ,अंबर और ये सारा नभ संचर 
कितने शमशान में जल गए और कितने जाने अभी बाकी हैं 

मेरे जिस्मों जहन के अभी कुछ ख्वाब बाकी है 
कि मुझे अभी मत मारो अभी मेरी कुछ किताब बाकी है l

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