उम्मीद कितनी बेहतर चीज है
मुझे कुछ तुमसे, कुछ तुमको मुझसे
जैसे धरती को आसमां से
और बच्चे को अपनी माँ से
उम्मीद पर ही तो टिका है ये सारा जहाँ
जैसे किसान करता उम्मीद अंबर से
उम्मीद ही तो है जो तुम्हें मुझे अक्सर चलाती है
और उम्मीद ही तो है, शहरी को गांव तक बुलाती है
बस को सवारी से
सवारी को बस से
हमें तुमसे तुम्हें हमसे
कभी-कभी सोचता हूं
अगर ये सभ्य उम्मीद ना होती
क्या हम यहां तलक आ पाते
माउंट एवरेस्ट की चोटी को यूं हिला पाते
उम्मीद है तो मैं तुम में
और तुम मुझ में जिंदा हो
उम्मीद कितनी बेहतर चीज है
मुझे कुछ तुमसे कुछ तुमको मुझसे
भूखे को भोजन से
प्यासे को पानी से
पानी को नदियों से
और नदियों को समुद्र से
पथिक को राह से और राह को पथिक से
उम्मीद ही तो है मझदार को किनारो से
पहाड़ों को घाटियों से
राजा को रानियों से प्रेमी को प्रेमिका से
कभी-कभी लगता है उम्मीद ही स्तंभ है
घर की दीवारों को छत से और छत को दीवारों से
जवाब को अपने सवालों से
उम्मीद है तो मैं तुम में
और तुम मुझ में जिंदा हो!