हां अंधेरा है घना और रातें अत्यंत ही काली
प्रातः सूर्य उगेगा बादल चमकेगा धूप भी होगी मतवाली
और फिर संध्या को सूर्य का ढ़लना बरकारी है
थके रुके और फिर चल पड़े क्योंकि युद्ध भी जारी है
हजारों चेहरे और उनके लाखों सवाल और ये कटु बोली
फिर उनकी तारीफे और सराहना करना जैसे होली की रंगोली
अंधेरा फिर रात और जुगनू से कहते सुनना अब हमारी बारी है
थके रुके और फिर चल पड़े क्योंकि युद्ध अभी जारी है
पत्तों का मुरझाना फिर नीचे गिर जाना और मिट्टी हो जाना
फिर नए पत्तों का आना और उससे पेड़ों का लह लहाना
वह मिट्टी हुए पत्तों का पेड़ बनने का प्रयास इस बारी है
थके रुके और फिर चल पड़े क्योंकि युद्ध अभी जारी है
टूटते तड़पाते यह पहाड़ नीचे गिराते रोज पत्थरों को
गिरे हुए पत्थरों का टिला बनना और देखना पहाड़ों को
उन्हीं तिलों का माउंट बन्ना समझदारी है
थके रुके और फिर चल पड़े क्योंकि युद्ध भी जारी है
चीटियों का भोजन की तलाश में कोसों दूर तक जाना
पहाड़ों में चढ़ते चढ़ते फिसल फिसल कर नीचे आना
वापस इन को देखो पहाड़ों पर चढ़ना अभी जारी है
थके रुके और फिर चल पड़े क्योंकि युद्ध भी जारी है
बारिश की बूंदों का धरती पर आकाश से गिरना
और धरती से वापस आकाश पर जाना जारी है
उन बूंदों का धरती पर छुप-छुपकर जगना
थके रुके और फिर चल पड़े क्योंकि युद्ध भी जारी है
-नीरज नील