Tuesday, December 24, 2019

यहां हर शख्स परेशान सा क्यों है

यहां हर शख्स परेशान सा क्यों है
अपने घर में हो कर भी मेहमान सा क्यों है

आना जाना लगा है फिर भी सफर में अनजान सा क्यों है
घर में इज्जतदार होते हुए भी ये इंसां बाहर हैवान सा क्यों है

यहां हर शख्स परेशान सा क्यों है
हर इंसान बना है माटी से फिर भी यह गुमान सा क्यों है

हर वक्त बेहतर ना करने वालों को इतना अभिमान सा क्यों है
कोख से निकला यह कलयुगी शख्स इतना शैतान सा क्यों है

यहां हर शख्स परेशान सा क्यों है
हार जीत गिरना उठना खेल है फिर भी ये दौडान सा क्यों है

नापो अभि नपा नहीं है आसमां फिर भी मौसम बिन उड़ान सा क्यों है
कुछ जो लड़ने ही नहीं निकले उन्हें उनका घर लगता मैदान सा क्यों है!!

उम्मीद ही तो है

उम्मीद कितनी बेहतर चीज है  मुझे कुछ तुमसे, कुछ तुमको मुझसे जैसे धरती को आसमां से और बच्चे को अपनी माँ से उम्मीद पर ही तो टिका है ये सारा जहा...