यहां हर शख्स परेशान सा क्यों है
अपने घर में हो कर भी मेहमान सा क्यों है
आना जाना लगा है फिर भी सफर में अनजान सा क्यों है
घर में इज्जतदार होते हुए भी ये इंसां बाहर हैवान सा क्यों है
यहां हर शख्स परेशान सा क्यों है
हर इंसान बना है माटी से फिर भी यह गुमान सा क्यों है
हर वक्त बेहतर ना करने वालों को इतना अभिमान सा क्यों है
कोख से निकला यह कलयुगी शख्स इतना शैतान सा क्यों है
यहां हर शख्स परेशान सा क्यों है
हार जीत गिरना उठना खेल है फिर भी ये दौडान सा क्यों है
नापो अभि नपा नहीं है आसमां फिर भी मौसम बिन उड़ान सा क्यों है
कुछ जो लड़ने ही नहीं निकले उन्हें उनका घर लगता मैदान सा क्यों है!!
अपने घर में हो कर भी मेहमान सा क्यों है
आना जाना लगा है फिर भी सफर में अनजान सा क्यों है
घर में इज्जतदार होते हुए भी ये इंसां बाहर हैवान सा क्यों है
यहां हर शख्स परेशान सा क्यों है
हर इंसान बना है माटी से फिर भी यह गुमान सा क्यों है
हर वक्त बेहतर ना करने वालों को इतना अभिमान सा क्यों है
कोख से निकला यह कलयुगी शख्स इतना शैतान सा क्यों है
यहां हर शख्स परेशान सा क्यों है
हार जीत गिरना उठना खेल है फिर भी ये दौडान सा क्यों है
नापो अभि नपा नहीं है आसमां फिर भी मौसम बिन उड़ान सा क्यों है
कुछ जो लड़ने ही नहीं निकले उन्हें उनका घर लगता मैदान सा क्यों है!!