वो बातें जिनका दीवारों तक पर होता था असर
खुद को तोड़ना यूं रोज-रोज अक्हुच्छ हुआ
जो हुआ सो हुआ मानो बस अब बहोत हुआ
हनुमत वीर अपनी शक्ति अब पहचानो
अपनी दिशा में थोड़ा और उजाला अब डालो
जरा सा अंधेरा था ए अब सब उजियाला कर डालो
जो हुआ सो हुआ मानो बस अब बहोत हुआ
मरे तो मर जाए ये सारा जहां तुम में,तुम तो हो
अगर नहीं तो फिर ढूंढो और इंसा तो बनावो
अब इस बात का चिंतन बहुत हुआ
जो हुआ सो हुआ मानो बस अब बहोत हुआ।
-नीरज
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