और मैं ही सबसे शक्ति शाली
पर्वत हूँ मैं, इतनी ऊँचाई है मुझमें
बला बला बला...
तभी उड़ी इक चिड़िया
और सीधा जाकर बैठी
सबसे ऊँचे पर्वत की
सबसे ऊँची चोटी पर
और गीत प्यार के गाने लगी
"हो पंख अगर तो
क्या पर्वत क्या अंबर, सब नापे जा सकते है"
एकाग्र मन से अब शब्दों में उलझकर शब्दों से खेलता हूँ शब्दों को पूज्यनीय चिंतनीय मान कर ये चादर बुनता हूँ खुद को लेकर थोड़ा चिंतित के मै क्य...
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