और मैं ही सबसे शक्ति शाली
पर्वत हूँ मैं, इतनी ऊँचाई है मुझमें
बला बला बला...
तभी उड़ी इक चिड़िया
और सीधा जाकर बैठी
सबसे ऊँचे पर्वत की
सबसे ऊँची चोटी पर
और गीत प्यार के गाने लगी
"हो पंख अगर तो
क्या पर्वत क्या अंबर, सब नापे जा सकते है"
उम्मीद कितनी बेहतर चीज है मुझे कुछ तुमसे, कुछ तुमको मुझसे जैसे धरती को आसमां से और बच्चे को अपनी माँ से उम्मीद पर ही तो टिका है ये सारा जहा...
No comments:
Post a Comment