POETRY WITH NEEL NEERAJ
“To be a poet is a condition, not a profession.” @Neerajshukla889
Friday, February 23, 2024
उम्मीद ही तो है
Friday, February 2, 2024
घड़ी
Wednesday, January 31, 2024
अब वक्त कहां?
कितना अकेला हूँ मैं
इसका हूँ के उसका हूँ
ना जाने मैं किस-किस का हूँ
किसी का प्यारा तो किसी का खास हूँ
कहीं मस्त तो कहीं अलबेला हूँ मैं
दुनिया के इस जंजाल में कितना अकेला हूँ मैं
कहने को कई दोस्तो का दोस्त हूँ
और कुछो का तो अनजाना रिश्तेदार हूँ
किसी की आश तो किसी की उम्मीद हूँ
कहीं खुशी तो कहीं बड़ा झमेला हूँ मैं
दुनिया के इस जंजाल में कितना अकेला हूँ मैं
कहीं तारा तो कहीं सूरज हूँ
किसी की गद्दी तो किसी का सरताज हूँ
इस करोड़ों की आबादी में किसी का पुखराज हूँ
कहीं एकदम आसान तो कहीं बड़ा हठेला हूँ मैं
दुनिया के इस जंजाल में कितना अकेला हूँ मैं
ये जंग अकेले जीतनी है मुझे मैं जानता हूँ
ये सारा सफर अकेले तय करना है मुझे, मैं जानता हूँ
इस भीड़ में पुष्पों सा खिलना है मुझे, मैं जानता हूँ
कहीं बेशर्म तो कहीं बड़ा शर्मीला हूँ मैं
दुनिया के इस जंजाल में कितना अकेला हूँ मैं !
अहम का वहम !
पर्वत और चिड़िया का संवाद
बाकी है
Saturday, January 20, 2024
मैं चाहता हूँ, तुमसा बनना मेरी माँ।
कैसे दिन से पहले दिन करती हो माँ
और सूरज से भी पहले तुम उठती हो माँ
फिर बिना इत्र के घर को महका देती हो माँ
पूरा घर कैसे अपने इन्हीं हाथों से उठा लेती हो माँ
मुझे नहीं बनना कुछ बस मैं चाहता हूँ, तुमसा बनना मेरी माँ
कई लोगों से मिला और कइयों से बिछडा मैं माँ
कहीं हारा कहीं कुछ छूटा और फिर खाली हाथ लौटा मैं माँ
खाली हाथ घर आके तुम्हें देख लगा जैसे मैं ही खुदा हूँ माँ
आपका सिर्फ चेहरा ही मानो मेरी जन्नत हो माँ
मुझे नहीं बनना कुछ बस मैं चाहता हूँ, तुमसा बनना मेरी माँ
कई दफा तुमसे कैसे लिपट कर जोर से रोया मैं माँ
यहां पर लेकिन मैं अकेला नहीं हूँ मेरे साथ एक शब्द है माँ
कोशिश में हूँ और एक दिन घर लौटूंगा मैं माँ
और तुम्हारी तरह ही तुमसे लिपटकर तुम्हें ठीक कर दूंगा माँ
मुझे नहीं बनना कुछ बस मैं चाहता हूँ, तुमसा बनना मेरी माँ
अभी भी मेरा मन हर बीमारी में डॉक्टर से पहले तुम्हें याद करता है माँ
माँ सुनो ना मैं थोड़ा सा यहां बीमार हूँ कई ऐसी बीमारियों का
जिनका तुम्हारे सिवा कोई डॉक्टर नहीं और ना ही कोई इलाज माँ
मेरे बिना ही कुछ किये मुझे राजा बताती हो माँ
मुझे नहीं बनना कुछ बस मैं चाहता हूँ, तुमसा बनना मेरी माँ!
पापा की एक आवाज़
शहर आज परेशान है
बस अब बहोत हुआ
वो फूल नहीं कांटे थे
अब हम हम हो जाते है।
बस एक कदम और
Friday, January 19, 2024
रातें जागी है तो कहानियां तो बनेंगी
उम्मीद ही तो है
उम्मीद कितनी बेहतर चीज है मुझे कुछ तुमसे, कुछ तुमको मुझसे जैसे धरती को आसमां से और बच्चे को अपनी माँ से उम्मीद पर ही तो टिका है ये सारा जहा...
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मैदानों को ये दिन प्रतिदिन मैं आभास कराता इक राह सुगम बेशक धीरे-धीरे मैं आज बनाता मिट्टी वैसी सजी नहीं कुछ उथल पुथल उफान में हूं तनिक धीरे ...
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शब्दों में उसके एक बहोत बड़े ज्ञान की परिभाषा थी बस बहन पढ़े कुछ अमोघ यही उसकी अभिलाषा थी मैं भी देख नहीं सका उस वेंटीलेटर के परवाने को वो ...
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गिरना, टूटना फिऱ फूठना और चोटिल हो जाना और फिर बने रहना हवाओं से लडे जाना आंधी तूफान बरसात और चक्रवात का आना वास्तव में आसां नहीं कतई पर्...