उम्र काफी थी
और चौड़ाई इतनी कि उसको संभालने
के लिए चबूतरा बनाना पड़ा
जिसकी छांव में बैठ सके बच्चे
और सो सके मजदूर
किसी ने कहा इसमें भूत है
किसी ने कहा इसमें जींद है
किसी ने उसमे भगवान के होने का एहसास दिलाया
लेकिन मुझे वो लगता था
हजारो चिड़ियों का शजर
और कई गिलहरियों का घर
बचाता था हमें गर्मी से
मानो हमारा तो सुंदर आसमा था
चिड़ियों की चह चाहट इतनी
कि मानो बरगद ही गाता हो
इतने बड़े वट में छोटे फल
और टहनियां में दूध जैसा रस
न जाने कितनी बीमारियों का इलाज
और गिलहरियों का भोजन
लेकिन अब वो बरगद वहां नहीं है
कहां गए होंगे सब भूत और भगवान
पता नही
लेकिन ढूंढो ना उन चिड़ियों
और गिलहरियों को
जिनका पता सिर्फ बरगद था
No comments:
Post a Comment