Thursday, December 12, 2024

वो घर याद आता है

वो घर याद आता है
मैं जब भी इस भोझिल हुई दुनिया से पककर 
मैं जब भी दुनिया के शोर शराबों से थक कर 
घर जाता था 
खूब सारे पेड़ों के बीच छिपा हुआ घर 
मुझे छिपा लेता था 
मेरी झूठी और सच्ची पहचान से 
उसे कोई मतलब नहीं था 
कि मैं कितना पढ़ा लिखा हूं 
और कितना पढूंगा लिखुंगा
आंधी और बरसात सबसे डटकर लड़ता था 

वो घर याद आता है 
उस घर में घुसते ही जो दरवाजा था
वो दादा की तरह ही उमरदार था 
थोड़ा धीरे खुलता था 
और घर में दरवाजे के बाद
एक पुराना तख्त और दो-चार पुरानी कुर्सियां 
बिल्कुल ही मेरे अरमानों की तरह थी 
लेकिन मां ने उस तख्त पर एक पुरानी चद्दर डाल रखी थी 
जो कि उस की सच्चाई छुपाती थी 
और उस घर की भी कीमत बढाती थी
वो घर याद आता है
कुर्सियों के जाल के बाद 
एक बड़ा सा आंगन 
जहां मैं कभी खेल नहीं पाया 
पर जीवन के सागर में जो भी बूंद बूंद
सी जब-जब छुट्टी मिलती थी 
मैं बैठता था उस आंगन में 
और निहारता था अपना सारा घर 
मां पिताजी का कमरा हो 
या शादी के बाद चिन्हित हुआ भाई भाभी का कमरा
या मेरा और मेरी बहनों का वो कमरा 
जिसमें छुपते थे हमारे कुछ छोटे-छोटे अरमान 
और दीवारों पर हमारी लंबाई तक का अनुमान 
और कमरे में वो जो बिछौना था
आह कितना जादुई था
जब भी मैं उसे ओढ़ता था
बेनींद सो जाता था
और तो और वो रसोई घर 
जहां से आता था
दुनिया के सबसे अच्छे होटल से भी अच्छा खाना
जिसे खाकर मैं सब भूल जाता था 
वो घर याद आता है

कितना कुछ मैं आंगन में बैठकर देख लेता था 
आंगन के साथ एक जीना भी था
जो मुझे और मेरी बहनों को 
आसमां तलक ले जाता था
और वो जीना जिंदगी के जीने से बिल्कुल अलग था 
ऊपर जाऊं तो भी घर नीचे आऊं तो भी घर 
और वो छत सच में कितनी सुंदर थी 
जो पेड़ों की बराबरी करने की कोशिश में थी
और चाहती थी आसमा को छू लेना
जो बारिश में खूब नहलाती थी
और कौन क्या बेचने आया है 
वहीं से दिखाई थी 
वो घर याद आता है

मैं कब का वो घर छोड़ आया हूं 
जिसने मुझे वो सब कुछ दिया 
जो कोई और दे नहीं सकता था 
मैं उसे अकेला तन्हा और तरसता हुआ छोड़ आया हूं 
वो घर याद आता है 

आंधी और बरसात में खड़कती होगी उसकी खिड़कियां
और चिल्ला चिल्ला कर मुझे बुलाती होगी 
उसे छूते हुए घर से मैं इतनी दूर आ गया हूं
की अब तो उसकी गिरती दीवारों की आहट भी 
अब मुझे भूल नहीं सकती क्योंकि मैं फिर एक नया घर
बनाना चाहता हूं पुराने घर से और दूर जाने की खातिर

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