Thursday, December 12, 2024

बदनाम सड़क का किस्सा

जब मैं सड़क पर चलता हूं 
थोड़ा-थोड़ा डरता हूं 
डरता हूं कहीं कोई पीछे से कोई ठोक ना दे 
कहीं कोई चोट ना पहुंचा दे 
डरता हूं कहीं गिर न जाऊं 
कहीं घायल ना हो जाऊं 

डरता हूं कुछ अनहोनी ना हो जाए
कहीं कोई कहानी ना बन जाए 
और मैं यूं ही गुजर ना जाऊं 
कितना स्वार्थी हूं ना में 
सिर्फ खुद के बारे में सोचता हूं 
खुद तक और खुद के लिए सोचता हूं

आखिर ये सड़क भी तो डरती होगी
ये डरती होगी अपने कालेपन से
ये डरती होगी बदनामी से,
डरता होगा इसका एक एक हिस्सा 
क्यूंकि गांव में सुना है मैंने 
बदनाम सड़क का किस्सा !

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