कि हमें मिला ही क्या है
हमें खुदा ने दिया ही क्या है
और न जाने कितनी चीजों को लेकर
उलझे रहते हैं हम
हमारे दुख
हमारी नौकरियां और चंद पैसे
और कुछ ये खाक से बने इंसान
न जाने क्या-क्या काफी कुछ चीज हैं
जिनसे हम रहते हैं परेशान
ऐसी बहुत सारी परेशानियों से घिरा हुआ इंसान
मैं उसे दूंगा एक काम की सलाह
वो ना जाए किसी बड़े अस्पताल
न जाए शमशान
पर पहुंचे किसी अनाथ आश्रम में
जहां हों कुछ चांद सितारे
जो हर रोज ही अंबर छूते हो
और हर रोज ही गंगा उनसे बहती हो
हर रोज ही धरती उनसे मिलती हो
जज्बात आभूषण हो जिनके
और अंबर मानो उनकी छत हो
और देखिएगा उनके हिस्से में क्या आया
और जाने कौन है उनके अपने
और कौन उन्हें पुकारता यूं पुकारता होगा ?
मैं ये सब देख कर घर लौट तो आया
लेकिन वो
मासूम और दुनिया से बेफिक्र प्यारे चेहरे
मेरे सारे जहां में घर लिए बैठे हैं
लगता है जैसे मैं तो घर आ गया
पर मेरा सब कुछ वह बच्चे लिए बैठे हैl
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