Monday, August 29, 2022

युद्ध अभी जारी है

 हां अंधेरा है घना और रातें अत्यंत ही काली 

प्रातः सूर्य उगेगा बादल चमकेगा धूप भी होगी मतवाली 

और फिर संध्या को सूर्य का ढ़लना बरकारी है 

थके रुके और फिर चल पड़े क्योंकि युद्ध भी जारी है 


हजारों चेहरे और उनके लाखों सवाल और ये कटु बोली 

फिर उनकी तारीफे और सराहना करना जैसे होली की रंगोली 

अंधेरा फिर रात और जुगनू से कहते सुनना अब हमारी बारी है 

थके रुके और फिर चल पड़े क्योंकि युद्ध अभी जारी है


पत्तों का मुरझाना फिर नीचे गिर जाना और मिट्टी हो जाना 

फिर नए पत्तों का आना और उससे पेड़ों का लह लहाना 

वह मिट्टी हुए पत्तों का पेड़ बनने का प्रयास इस बारी है 

थके रुके और फिर चल पड़े क्योंकि युद्ध अभी जारी है 


टूटते तड़पाते यह पहाड़ नीचे गिराते रोज पत्थरों को

गिरे हुए पत्थरों का टिला बनना और देखना पहाड़ों को 

उन्हीं तिलों का माउंट बन्ना समझदारी है 

थके रुके और फिर चल पड़े क्योंकि युद्ध भी जारी है 


चीटियों का भोजन की तलाश में कोसों दूर तक जाना 

पहाड़ों में चढ़ते चढ़ते फिसल फिसल कर नीचे आना 

वापस इन को देखो पहाड़ों पर चढ़ना अभी जारी है 

थके रुके और फिर चल पड़े क्योंकि युद्ध भी जारी है 


बारिश की बूंदों का धरती पर आकाश से गिरना 

और धरती से वापस आकाश पर जाना जारी है 

उन बूंदों का धरती पर छुप-छुपकर जगना

थके रुके और फिर चल पड़े क्योंकि युद्ध भी जारी है 

-नीरज नील 

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