Wednesday, August 24, 2022

कहीं माँ तुम बूढ़ी तो नहीं हो रही हो?

माँ एक बात पुछू बताओगी ?

तुम्हारे ये सफ़ेद बाल और कमर का ये दर्द 

और तुम्हारी चमड़ियों का यूँ सिकुड़ना क्यूँ ?

सुबह सबसे जल्दी उठकर देर से सोना 

और तुम्हारी आवाज का यूँ कमजोर होना 

बताओ ना माँ चलते चलते  क्यूँ रुक जाती हो ?

कहीं माँ तुम बूढ़ी तो नहीं हो रही हो?


माँ एक बात पुछू बताओगी ?

अब पहले सा तुम चिल्लाती क्यूँ नहीं 

माँ अब तुम्हारे हाथो से क्यूँ गिर जाते है बर्तन 

माँ ये घर की सीढियाँ क्यूँ हैं तुम्हारी दुश्मन 

माँ क्यूँ बात बात पर अब रो देती हो?

बताओ न माँ रात में क्यूँ घुटनो पर बाम लगाती हो ?

 कहीं माँ तुम बूढ़ी तो नहीं हो रही हो?


माँ एक बात पुछू बताओगी ?

क्यूँ पापा की डांट का अब तुम पर असर नहीं होता 

क्यूँ नहीं लड़ती पहले की तरह डट कर पापा से 

माँ अब तुम्हारी साड़ियों के रंग इतने हल्के क्यूँ?

और क्यूँ करदी कम तुमने हाथो की चूड़ियां 

बताओ ना माँ क्यूँ कई बार दिन में बेशुद सी लेट जाती हो?

 कहीं माँ तुम बूढ़ी तो नहीं हो रही हो?


माँ एक बात पुछू बताओगी ?

क्यूँ देर तक मंदिर में बिताने लगी हो अपना समय 

क्यूँ मुझसे इतना तेज लिपटकर रोती हो जब मैं शहर के लिए निकलता हूँ 

क्यूँ कई दफा फ़ोन पर तुम्हारी आवाज सुन्न सी हो जाती है 

क्यूँ करती हो बात कुबरी और डंडो की 

बताओ ना माँ क्यूँ तुम्हे देख कर कई दफा फीके पड जाते है मेरे जज्बात 

 कहीं माँ तुम बूढ़ी तो नहीं हो रही हो?

-नीरज नील

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