Sunday, October 16, 2022

आओ अब मेहनत करते हैं

 उठकर जो देखा मैंने सबसे पहले मेरी बूढ़ी मां को प्रातः में

पिछले दिन की खूब थकावट और फिर भी नहीं दिखी बिस्तर में 

और मेरे पिताजी प्रातः उठे विकराल कमर का दर्द लिए 

फिर कार्यालय जाने को कमर दर्द के साथ तैयार दिखे 

कैसे ए मेरी धरती और मेरा आसमाँ दिन भर चलते हैं 

हां अब मेरी बारी आओ अब मेहनत करते हैं 


फिर दिखा सूर्य मतवाला बादलों में चमाचम निकलता आता 

कल जो लौटा था संध्या को बुझ बुझ छुपता  जाता 

तभी दिखी गौरैया मुंह में लिए हुए इक बड़ा सा दाना 

कैसे जाएगी घर को लेकर यह बच्चों के लिए ये खाना 

कैसे यह मेरा यार और मेरी सहेली दिन भर सवंरते हैं 

हां मेरी बारी आओ मेहनत अब करते हैं 


नहा धोकर निकला जो मैं, मुझे दिखा थैला  टांगे छोटू 

उम्र वहीं आठ-नौ साल पर थैला था खूब भरा बसेतू 

तभी दिखी इक गुड़िया पतली सी रस्सी पर चलती 

छोटे छोटे पांव थे जिसके आखिर कैसे ए करतब करती 

कैसे यह मेरी गुड़िया और मेरा छोटू दिनभर विचरते हैं 

हां अब मेरी बारी आओ अब मेहनत करते हैं 


बैठा जो रिक्शे में देखा रिक्शेवाले कतई बूढ़े दादा को जैसे पतंगे 

उम्र करीबन 80 फिर भी ए  मुझे बस अड्डे पहुंचा देंगे 

तभी दिखी इक बूढ़ी मां लेकर जाती फूलों का भारी टोकरा 

झुक कर  चलती और फूलों की माला बेचती ये करती सवेरा

कैसे ए  मेरी बूढ़ी अम्मा और बूढ़े दादा दिन भर खटते हैं 

हां अब मेरी बारी आओ अब मेहनत करते हैं !

-नीरज 

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