Wednesday, August 24, 2022

लाल सो गया

शब्दों में उसके एक बहोत बड़े ज्ञान की परिभाषा थी 

बस बहन पढ़े कुछ अमोघ यही उसकी अभिलाषा थी 

मैं भी देख नहीं सका उस वेंटीलेटर के परवाने को 

वो बाप रो रोकर कहे भगवान मेरे ये क्या कर गया 

आज भी मिलकर बोलते है वो के मेरा लाल सो गया     


पढ़ने लिखने में खुद से बेहतर रोज हुआ करता था 

कुछ किताबे माँ पिता से कुछ खुद ख़रीदा करता था 

फिर बहना पूछ पड़ी भइया क्यों उठत नहीं उठाने सो 

हँसी फिर खेली फिर आकर ये और बोली ये क्या हो गया 

माँ बाहर कहते है सब मेरा भइया और तेरा लाल सो गया     


हम सबके लिए वो रात बस एक सफर भर तो थी 

सोयी नहीं वो माँ उसके बेटे की सांस वेंटिलेटर से जो थी 

वो माँ फिर जोर झपट से  हट कर बैठी  उसे उठाने को 

आखिर हमारा उस रात का सफर बीता बाल तो गया 

मगर माँ जरा सा सोई नहीं पर उसका लाल सो गया  

-नीरज नील 

#स्व. अंकुश तिवारी को समर्पित !

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