Tuesday, August 23, 2022

चलो तुम्हेँ किनारे लगा दूँ

ऐ बाधा तुम्हे कतई शर्म नहीं आती है,

मैं इंसा हूँ जगाता हूँ ऐसे, जैसे दिया में बाती है 

आओ अब आ ही गयी हो, तो हौसले तुम्हारे बुझा दूँ 

सुनो बाधाओं ठहरो चलो तुम्हे किनारे लगा दूँ !


सूर्य तपे हुए हो तुम लगता है गर्मी तुम्हे भाती है 

तुम्हारी गर्मी तपन मेरा हौसला अब तपाती है 

आओ तपे हुए हौसलों को अब सितारा बना दूँ 

सुनो बाधाओं ठहरो चलो तुम्हे किनारे लगा दूँ !


जो लड़ नहीं सका ऐ बाधा तुमसे मैं वो इंसा नहीं 

आओ झुका दूँ तुम्हे, ऐ सूर्य मुझे तुमसा आना जाना नहीं 

पर मुझे ये पारी इक दफा जम के खेलनी है, तुम्हे ये समझा दूँ 

सुनो बाधाओं ठहरो चलो तुम्हे किनारे लगा दूँ !


मैदां भर चूका है खिलाडियों से, यंहा खेल जरूर कोई न कोई होगा 

तुम्हे ये सितारे ये बता दूँ, नित नित चलकर आसमा के चरम पर पहोंचोगे 

हो लाख फिर भी बाधाएं रोक सकती नहीं मुझे, तुम्हें ये बता दूँ 

सुनो बाधाओं ठहरो चलो तुम्हे किनारे लगा दूँ !


मेरे पुरखो ने रस्सी से चट्टानें जो काटी है 

जो कभी थी सख्त चट्टानें वो आज माटी है 

जुगनू कहता है, जागो साथ मेरे रात के नज़ारे दिखा दूँ 

सुनो बाधाओं ठहरो चलो तुम्हे किनारे लगा दूँ !

-नीरज नील

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