Sunday, August 28, 2022

आसां नहीं कतई पर्वत हो जाना

 गिरना, टूटना फिऱ फूठना और चोटिल हो जाना 

और फिर बने रहना हवाओं से लडे जाना

आंधी तूफान बरसात और चक्रवात का आना 

वास्तव में आसां नहीं कतई पर्वत हो जाना !


तड़कना, गड़कना व बादल की गर्जन का आना 

और फिर बने रहना भूकंप से लड़े जाना 

बादलों की बिजली व कभी-कभी ज्वालामुखी का आना

वास्तव में आसां नहीं कतई पर्वत हो जाना !


मैं पर्वत हूं मुझे मेरा हर रोज यह बताना 

और फिर गिट्टीयों व पत्थरों को समझाना 

इंसानी मशीनों में नई तकनीकों का आना

वास्तव में आसां नहीं कतई पर्वत हो जाना !


मैंने रखे हैं कई देव और महादेव को पाना 

और फिर इन नदियों को अपने से निकालना 

नदियों का भयावह रूप इनसे बचे जाना

वास्तव में आसां नहीं कतई पर्वत हो जाना !

-नीरज नील 

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