Saturday, November 16, 2019

समय का खेल जैसा खेलोगे

फसलें बिल्कुल वैसी काटोगे बीज जैसा बो रहे हो
फिर मढते हो विधि पर फिलहाल अभी सो रहे हो
बिन घर्षण की इबादत कोयले को हीरा कैसे कहदोगे
मंजिल बिल्कुल वैसी होगी समय का खेल जैसा खेलोगे

सांसे रुकी नहीं और अब क्या तुम रुकना चाह रहे हो
क्षण क्षण से बनती क्षणिका और तुम बिन पसीने मंजिल चाह रहे हो
लोगों को दिखने के लिए नहीं खुद के लिए खुद कुछ बन जाओगे
इज्जत मिलेगी बिल्कुल वैसी  समय का खेल जैसा खेलोगे

सेकंडो का महत्व एक घड़ी बताती है
एक छोटी सुई दिन भर ना जाने कितने चक्कर लगाती है
कई वर्षों के साथ चली गई गर्मी सर्दी पार कराती
देखोगे खुशियां भी वैसी समय का खेल जैसा खेलोगे

समय से पूछा एक दफा कुछ दिए क्यों जल जाते हैं
कुछ बाकी दिए क्यों बुझ बुझ कर रह जाते हैं
समय को जिसने समय मान लिया उसे क्या खरीदोगे
भविष्य तुम्हारा वैसा होगा समय का खेल जैसा खेलोगे!!

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