राह देखकर मचल गए अब इतनी भी क्या जल्दी है
विजय मिलेगी निश्चित है पर तेरी सोच का क्या जो उलझी है
पानी बिलकुल रुकता नहीं देखो पर उसके आगे भी तो समंदर है
विचलित मत होना कतई क्यूंकि राह नहीं पर लक्ष्य तो सुंदर है
सीख मिलेगी लड़कर ही लड़ कर ही मिलती गद्दी है
हार के बाद फिर विजय नहीं है सोच भी कितनी भद्दी है
हाथों की लकीर बताती सब कुछ यहां कहां का मुकद्दर है
थक मत जाना राही क्यूंकि राह नहीं पर लक्ष्य तो सुंदर है
सीखो धावक से जो दौड़ में देखता नहीं गर्मी सर्दी है
जो पल पल को उपयुक्त बनाता उसका वक्त नहीं गर्दी है
खुद में खोज ले विजेता तू तू ही खेल का सिकंदर है
उठ अर्जुन अब चल क्यूंकि राह नहीं पर लक्ष्य तो सुंदर है !!
विजय मिलेगी निश्चित है पर तेरी सोच का क्या जो उलझी है
पानी बिलकुल रुकता नहीं देखो पर उसके आगे भी तो समंदर है
विचलित मत होना कतई क्यूंकि राह नहीं पर लक्ष्य तो सुंदर है
सीख मिलेगी लड़कर ही लड़ कर ही मिलती गद्दी है
हार के बाद फिर विजय नहीं है सोच भी कितनी भद्दी है
हाथों की लकीर बताती सब कुछ यहां कहां का मुकद्दर है
थक मत जाना राही क्यूंकि राह नहीं पर लक्ष्य तो सुंदर है
सीखो धावक से जो दौड़ में देखता नहीं गर्मी सर्दी है
जो पल पल को उपयुक्त बनाता उसका वक्त नहीं गर्दी है
खुद में खोज ले विजेता तू तू ही खेल का सिकंदर है
उठ अर्जुन अब चल क्यूंकि राह नहीं पर लक्ष्य तो सुंदर है !!
Last one............
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