Saturday, February 1, 2020

जैसे पिछला साल गवांया वैसे मुझे ना गवाँना

जैसे पिछला साल गवांया वैसे मुझे ना गवाँना
मैं तो टवेंटी टवेंटी हूं इसमें जरूर कुछ बड़ा कर जाना

नई इल्म में नया किरदार नया इंसान बनाना
पिछले वर्ष में झांकना कभी-कभी पर वो गलतियां ना दोहराना

नई उम्मीद की किरण मैं रोज ही लाता हूं थोड़ी रोशनी तुम भी ले जाना
बादलों को काटता पीटता पछाड़ता मैं तुम भी कुछ यूं ही प्रातः आना

जैसे पिछला साल गवांया वैसे मुझे ना गवाँना
मैं तो टवेंटी टवेंटी हूं इसमें जरूर कुछ बड़ा कर जाना

तोड़ना तारे चंदा सारे के सारे पर सूरज से भी मिल आना
क्या पाया क्या खोया भूलो इस साल इक सुंकू का आशियां बनाना

हां मैं नया साल हूं मेरे हर पल को नया नया सा मनाना
अभी थोड़ा और तो चलो अब ज्यादा दूर नहीं आशियाना

जैसे पिछला साल गवांया वैसे मुझे ना गवाँना
मैं तो टवेंटी टवेंटी हूं इसमें जरूर कुछ बड़ा कर जाना!

जब मैं कविता लिखता हूँ

एकाग्र मन से अब शब्दों में उलझकर शब्दों से खेलता हूँ  शब्दों को पूज्यनीय चिंतनीय मान कर ये चादर बुनता हूँ  खुद को लेकर थोड़ा चिंतित के मै क्य...